आज के युग में कृष्ण आपका सद विवेक ही है.जो आपके मन रूपि अर्जुन को सद्बुद्धि दे सकता है.विवेक को जागृत रखिये सत्संग और सत्साहित्य से.लेकिन सत्साहित्य और सत्संग के समय भी विवेक की आँखों से ही पढ़िए,विवेक की आँखों से सुनिए.
आज के गुरुढम के युग में भी सबसे बड़ा गुरु भी विवेक ही है.चाहे किसी भी गुरु का अनुसरण करिए लेकिन अपने विवेक का साथ मत छोडिये.जो गुरु विवेक को छोड़ सिर्फ अपना अनुसरण करवाता हो ,आपको सिर्फ अपने मत का साहित्य पढने की सलाह देता हो आपके विवेक को हरने की कोशिश करता है
इसी तरह किसी भी धर्म को समझना हो तो भी विवेक रूपि कृष्ण का साथ मत छोडिये.धर्म की स्थानीय उत्पति को,सामयिक ज्ञान को और रूढीवादिता को समझने के लिए आपका विवेक ही आपको जागृत करता है.
विवेक बुद्धि ही मार्गदर्शक है।
जवाब देंहटाएंजी हां प्रथम सद् गुरु हमारा विवेक ही हैं ,जो सद्-बुद्धि का परिणाम है .विवेक हमारे 'लंका' रुपी अंत:करण में विभीषण की तरह है ,जो यद्धपि अहंकार रुपी रावण का छोटा भाई है ,लेकिन राम से मिलकर रावण का नाश करवा , लंका ढवा देता है और राम की कृपा से फिर लंका पर राज करने में भी समर्थ हो जाता है.
जवाब देंहटाएं.........................................
जवाब देंहटाएंआज के वर्तमान व्योस्था में कृष्ण कौन है ?? क्या थोडा प्रकाश डालेंगे विशाल भाई आप
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विशाल भाई मैने तो आप से व्यक्तिगत रूप से पूछा था अपनी कविता के सन्दर्भ में...आप ने तो पूरा लेख लिख कर धन्य कर दिया...बहुत सुन्दर लगा कृष्ण की परिभाषा ...चलिए में अब अपने विवेक से ही मार्गदर्शन लेने का प्रयास करूँगा..
@आदरणीय सुज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है अध्यात्म पथ पर.आपकी बोध कथाएँ सदैव मेरा मार्ग दर्शन करती हैं.आभार.
@आदरणीय राकेशजी,
आपने बहुत ही बढ़िया परिभाषा दी है,प्रथम गुरु की.आपके मार्गदर्शन के लिए सदा आभारी रहूँगा.
@आदरणीय आशुतोश्जी,
आपका धन्यवाद इतना सुन्दर और गूढ़ प्रश्न पूछने के लिए.मैंने जान बूझ कर आप का सन्दर्भ नहीं दिया था क्योंकि आपने व्यक्तिगत रूप से पूछा था.मैं आप का तहे दिल से आभारी हूँ.आलेख तो नहीं लिख पाया हूँ,कुछ विचार रखे हैं .बहुत आनन्दित हूँ कि आपको अच्छा लगा.आपने सच में मेरे विवेक रुपी गुरु को जागृत कर दिया है.फिर से आभार.
विशाल जी नमस्कार ! जी हाँ बिलकुल सही कहा आपने !!प्रथम सद् गुरु हमारा विवेक ही हैं , यही सही और गलत की पहचान करता है. यदि हम कहें की हमारी ही बातें श्रेष्ठ हैं दूसरों की गलत तो यह हमारा कोरा अहंकार ही होगा ये तो हमारा विवेक ही निर्णय करता है......
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार....
सत्य कथन, विशाल जी--विवेक ही वस्तविक्ता से परिचय कराने वाला--क्रिष्ण है, गुरु है, धर्म है.....
जवाब देंहटाएं--सत्य कहा राकेश जी ने...वह अहंकार का भाई...क्योंकि दोनों की ही श्रिष्टि मन से होती हैं...
yah blog bahut badhiyaa hai ...
जवाब देंहटाएंजीवन को सार्थकता प्रदान करने वाला लेख...
जवाब देंहटाएं'बिनु सत्संग विवेक न होई
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई '
आज के युग में कृष्ण आपका सद विवेक ही है.जो आपके मन रूपि अर्जुन को सद्बुद्धि दे सकता है....
जवाब देंहटाएंबहुत ही महत्वपूर्ण विचार हैं...मन को ऊर्जा देने वाले...
"sad-vivek" yani kya "bad-vivek" bhi hota hai...
जवाब देंहटाएंआपको और सभी ब्लोगर जन को विश्व कप जीतने की बहुत बहुत बधाई विशाल भाई,
जवाब देंहटाएंदेश की एकता का जज्बा सदा बना ही रहे और नित दिन बढे
विवेक गुरु के आशीर्वाद से अध्यात्म पथ पर भी हम सब एक हो आगे बढ़ें.
विवेक बुद्धि ही मार्गदर्शक है।
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
Vishal jee , ydi vivek ki uttapati ki vyakhya thora kar dete to baaten aur bhi prabhavi ho jaati . vivek kya hai...ham kaise samjhenge ki sahi kya hai..aadi. karan paristhiti janya baaton me vibhed karna mushkil hota hai. achchhi lagi post..aage bhi pratiksha hai..
जवाब देंहटाएंराम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंलगता है इस ब्लाग पर बहुत ग्यानवर्द्धक सामग्री पढने को मिलेगी। विवेक पर कुछ और प्रकाश डालें तो कृपा होगी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंnice page
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com
सही कहा आपने विवेक ही हमें सही गलत में अंतर करना सिखलाता है।
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