आज के युग में कृष्ण आपका सद विवेक ही है.जो आपके मन रूपि अर्जुन को सद्बुद्धि दे सकता है.विवेक को जागृत रखिये सत्संग और सत्साहित्य से.लेकिन सत्साहित्य और सत्संग के समय भी विवेक की आँखों से ही पढ़िए,विवेक की आँखों से सुनिए.
आज के गुरुढम के युग में भी सबसे बड़ा गुरु भी विवेक ही है.चाहे किसी भी गुरु का अनुसरण करिए लेकिन अपने विवेक का साथ मत छोडिये.जो गुरु विवेक को छोड़ सिर्फ अपना अनुसरण करवाता हो ,आपको सिर्फ अपने मत का साहित्य पढने की सलाह देता हो आपके विवेक को हरने की कोशिश करता है
इसी तरह किसी भी धर्म को समझना हो तो भी विवेक रूपि कृष्ण का साथ मत छोडिये.धर्म की स्थानीय उत्पति को,सामयिक ज्ञान को और रूढीवादिता को समझने के लिए आपका विवेक ही आपको जागृत करता है.